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विधा: कविता शीर्षक : चाय और सर्दी कोहरा -कोहरा ढकी दूर तक राहें, सर्दियों के मौसम ने खोली बाहें ..! लागी कंपकंपी बैरी ठिठुरन अंग जमाए , दांत कटकट,निढाल ऋतु सर ...